Class 9 Hindi Kritika पाठ 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika पाठ 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया.
पृष्ठ संख्या: 58  
1. वह ऐसी कौन सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया?

उत्तर

लेखक जिन दिनों बेरोजगार थे उन दिनों शायद किसी ने उन्हें कटु बातें की होगीं जिसे वे बर्दाश्त नहीं कर पाए होगे और दिल्ली चले आए होंगे।


2. लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने का अफ़सोस क्यों रहा होगा?



उत्तर 


लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने पर अफ़सोस इसलिए रहा होगा क्योंकि वह भारत की जन-भाषा नहीं थी । इसलिए भारत के लोग यानी उनके अपने लोग उसे समझ नहीं पाते होंगे।

3. अपनी कल्पना से लिखिए कि बच्चन ने लेखक के लिए नोट में क्या लिखा होगा?

उत्तर

दिल्ली के उकील आर्ट स्कूल में बच्चनजी लेखक के लिए एक नोट छोड़कर गए थे। उस नोट में शायद उन्होंने लिखा होगा कि तुम इलाहाबाद आ जाओ। लेखन में ही तुम्हारा भविष्य निहित है। संघर्ष करने वाले ही जीवन पथ पर अग्रसर होते हैं अत:परिश्रम करो सफलता अवश्य तुम्हारे कदम चूमेगी।

4. लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है ?

उत्तर

लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के अनेक रूपों को उभारा है -
1) बच्चन का स्वभाव संघर्षशील, परोपकारी, फौलादी संकल्पवाला था।
2) बच्चनजी समय के अत्यंत पाबन्द होने के साथ-साथ कला-प्रतिभा के पारखी थे। उन्होंने लेखक द्वारा लिखे एक ही सॉनेट को पढ़कर उनकी कला - प्रतिभा को पहचान लिया था।
3) बच्चनजी अत्यंत कोमल एवं सहृदय मनुष्य थे।
4) वे ह्रदय से ही नहीं, कर्म से भी परम सहयोगी थे।उन्होंने न केवल लेखक को इलाहाबाद बुलाया बल्कि लेखक की पढ़ाई का सारा जिम्मा भी उठा लिया।

5. बच्चन के अतिरिक्त लेखक को अन्य किन लोगों का तथा किस प्रकार का सहयोग मिला ?

उत्तर

लेखक को बच्चन के अतिरिक्त निम्नलिखित लोगों का सहयोग प्राप्त हुआ -
तेजबहादुर सिंह - ये लेखक के बड़े भाई थे ।  ये आर्थिक तंगी के दिनों में उन्हें कुछ रूपये भेजकर उनका सहयोग करते थे ।
कवि नरेंद्र शर्मा - कवि नरेंद्र शर्मा लेखक के मित्र थे ।  एक दिन वे लेखक से मिलने के लिए बच्हन स्टूडियो में आये । छुट्टी होने कारण लेखक नहीं मिल सका ।  तब वे उनके नाम एक बहुत अच्छा और प्रेरक नोट छोड़ गए । इस नोट ने लेखक को बहुत प्रेरणा दी।
शारदाचरण उकील - ये कला शिक्षक थे ।  इनसे लेखक ने पेंटिंग की शिक्षा ली ।
बच्चन के पिता - जब लेखक इलाहाबाद में आकर बस गया तो उन्हें स्थानीय अभिभावक की आवश्यकता थी ।  तब हरिवंशराय बच्चन के पिता ने उनका अभिभावक बन्ना स्वीकार किया ।
सुमित्रानंदन पंत - हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने लेखक को इंडियन प्रेस से अनुबाद का काम दिला दिया ।  उन्होंने लेखक द्वारा लिखी कविताओं में कुछ संशोधन भी किया।
ससुराल पक्ष - जिन दिनों विधुर लेखक आजीविका कमाने के लिए संघर्ष कतर रहा था, तब ससुराल वालों ने उन्हें अपनी दुकान पर कम्पाउंडरी का प्रशिक्षण दिया।



6. लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिये।



उत्तर 



सन् 1933 में लेखक की कुछ रचनाएँ जैसे 'सरस्वती' और 'चाँद' छपी। बच्चन द्वारा 'प्रकार' की रचना लेखक से करवाई गई। बच्चन द्वारा रचित 'निशा-निमंत्रण' से प्रेरित होकर लेखक ने 'निशा-निमंत्रण के कवि के प्रति' कविता लिखी थी। निराला जी का ध्यान सरस्वती में छपी कविता पर गया। उसके पश्चात् उन्होंने कुछ हिंदी निबंध भी लिखे व बाद में 'हंस' कार्यालय की 'कहानी' में चले गए। तद्पश्चात् उन्होंने कविताओं का संग्रह व अन्य रचनाएँ भी लिखी।
7. लेखक ने अपने जीवन में जिन कठिनाइयों को झेला है, उनके बारे में लिखिए।



उत्तर 


लेखक ने अपने जीवन में प्रारम्भ से ही अनेक कठिनाइयों को झेला |
वह किसी के व्यंग - बाण का शिकार होकर केवल पाँच - सात रूपए लेकर ही दिल्ली चला गया | वह बिना फीस के पेंटिंग के उकील स्कूल में भर्ती हो गया | वहाँ उसे साइन - बोर्ड पैंट करके गुजारा चलाना पड़ा |
लेखक की पत्नी का टी.बी. के कारण देहांत हो गया था, और वे युवावस्था में ही विधुर हो गए | इसलिए उन्हें पत्नी - वियोग का पीड़ा भी झेलना पड़ा | बाद में एक घटना - चक्र में लेखक अपनी ससुराल देहरादून आ गया | वहाँ वह एक दूकान पर कम्पाउंडरी सिखने लगा |
वह बच्चन जी के आग्रह पर इलाहाबाद चला गया | वहाँ बच्चन जी के पिता उसके लोकल गार्जियन बने | बच्चन जी ने ही उसकी एम्.ए. की पढ़ाई का खर्चा उठाया |
बाद में उसने इंडियन प्रेस में अनुबाद का काम भी किया | उसे हिन्दू बोर्डिंग हाउस के कामन - रूम में एक सीट फ्री मिल गयी थी | तब भी वह आर्थिक संघर्ष से जूझ रहा था |